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पितृ पक्ष 2023: पितरों को कैसे दिया जाता है जल और क्या है इसकी विधि.

पितृ पक्ष 2023, भारतीय हिन्दू परंपरा में एक विशेष महीना है जिसे श्राद्ध के रूप में भी जाना जाता है। यह दिन उन पितरों को समर्पित है जो इस लोक से परलोक को प्राप्त हो गए हैं। इस समय के दौरान पितरों को श्राद्ध करने के लिए विशेष पूजा और आहुतियों की जाती है। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है जो पितरों की आत्मा को शांति देने का उद्देश्य रखता है। इस लेख में, हम जानेंगे कि पितृ पक्ष में पितरों को कैसे जल दिया जाता है और इसकी विधि क्या है।

पितृ पक्ष, भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो पितरों की आत्मा को श्रद्धांजलि देने और उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है। यह वर्ष 2023 में 29 सितंबर को आयोजित हो रहा है। इस दिन लोग अपने अब नहीं रहे पितरों को याद करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। यह एक ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्वपूर्ण तिथि है जो हमें अपने पितरों के संस्मरण में रहने की महत्वपूर्णता याद दिलाती है। इस लेख में, हम पितृ पक्ष 2023 के अवसर पर भारतीय समाज की संस्कृति, परंपराओं, और महत्व को समझेंगे।

भारतीय संस्कृति और पितृ पक्ष 2023

भारतीय संस्कृति में पितृ पक्ष को अत्यधिक महत्व दिया जाता है। इसे पितरों के आत्मा को श्रद्धांजलि देने और उनकी आत्मा को शांति देने का एक अद्वितीय अवसर माना जाता है। यह एक समय है जब लोग अपने पितरों के योगदान को याद करते हैं और उन्हें आभार और आशीर्वाद देते हैं। विभिन्न परंपराएँ अपने तरीके से इसे मनाती हैं, लेकिन सभी का उद्देश्य एक है – पितरों की मानवीय और आत्मिक उन्नति के लिए श्रद्धा और समर्पण दिखाना।

श्रद्धा और समर्पण का महत्व: पितृ पक्ष 2023

पितृ पक्ष 2023 का अर्थ वास्तविकता में ‘पितरों का पक्ष’ है। यह एक दिन है जब लोग अपने पितरों को उनकी आत्मा के शांति की कामना करते हैं। यह दिन उनके संबंधों को मजबूत बनाने और उनकी कृपा प्राप्त करने का एक अद्वितीय अवसर है। श्रद्धा और समर्पण यहाँ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

श्रद्धा वह भावना है जिससे हम अपने पितरों को याद करते हैं। यह भावना हमें यह आत्मा शक्ति देती है कि हमारे पितर अब भी हमारे साथ हैं और हमारी रक्षा में हैं। यह श्रद्धा का भाव उनकी आत्मा को शांति देने के लिए महत्वपूर्ण है।

समर्पण एक उदार भावना है जिससे हम अपने पितरों के योगदान को महसूस करते हैं और उनके कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह भावना हमें यह बोध कराती है कि हमारे जीवन में हमारे पितर अब भी मौजूद हैं और हमारे साथ हैं। यह समर्पण का भाव उनकी आत्मिक उन्नति के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

पितृ पक्ष 2023 के अद्भुत पर्व:

पितृ पक्ष भारतीय समाज के लिए एक अद्वितीय पर्व है। यह एक समय है जब लोग अपने पितरों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनकी आत्मा को शांति देने की कामना करते हैं। यह त्योहार परंपराओं, विश्वासों और भूत-प्रेतों के संबंध में उत्कृष्टता की उदाहरण है।

विभिन्न धार्मिक विश्वास:

पितृ पक्ष को विभिन्न भाषाओं, संस्कृतियों और धर्मों में विभिन्न नामों से जाना जाता है। हिन्दू धर्म में यह श्राद्ध पक्ष के रूप में मनाया जाता है, जबकि चीन में यह गुइ जिए के रूप में जाना जाता है।

समाज में महत्व:

पितृ पक्ष समाज में संबंधों को मजबूत करने का एक अद्वितीय अवसर है। यह एक वक्त है जब वारिसों को अपने पितरों के योगदान को महसूस करने का अवसर मिलता है और उनकी श्रद्धा और समर्पण का सम्मान करता है। यह समय है जब लोग आत्म-विकास और आत्म-शुद्धि के लिए प्रयासरत रहते हैं।

आत्म-विकास और आत्म-शुद्धि:

पितृ पक्ष एक ऐसा समय है जब आत्म-विकास और आत्म-शुद्धि के मार्ग पर चलने का समय है। यह एक अवसर है जब हम अपने आत्मा के गहराईयों में जाकर अपने उद्देश्यों को समझ सकते हैं और अपने जीवन को एक नई दिशा में प्रवृत्त कर सकते हैं।

पितृ पक्ष में श्राद्ध की तिथियां (Pitra Paksha tithi)

29 सितंबर 2023, शुक्रवारपूर्णिमा श्राद्ध
30 सितंबर 2023, शनिवारद्वितीया श्राद्ध
01 अक्टूबर 2023, रविवारतृतीया श्राद्ध
02 अक्टूबर 2023, सोमवार:चतुर्थी श्राद्ध
03 अक्टूबर 2023, मंगलवारपंचमी श्राद्ध
04 अक्टूबर 2023, बुधवारषष्ठी श्राद्ध
5 अक्टूबर 2023, गुरुवारसप्तमी श्राद्ध
6 अक्टूबर 2023, शुक्रवारअष्टमी श्राद्ध
7 अक्टूबर 2023, शनिवारनवमी श्राद्ध
8 अक्टूबर 2023, रविवारदशमी श्राद्ध
9 अक्टूबर 2023, सोमवारएकादशी श्राद्ध
10 अक्टूबर 2023, मंगलवारमघा श्राद्ध
11 अक्टूबर 2023, बुधवारद्वादश श्राद्ध
12 अक्टूबर 2023, गुरुवारत्रयोदशी श्राद्ध
13 अक्टूबर 2023, शुक्रवारचतुर्दशी श्राद्ध
14 अक्टूबर 2023, शनिवारसर्व पितृ अमावस्या
पितृ पक्ष 2023

पितरों को जल देने का महत्व

पितृ पक्ष में पितरों को जल देना धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह माना जाता है कि इस समय में पितरों की आत्माएँ अपने संतानों के बीच विचरण करती हैं और उनकी आत्मा को शांति नहीं मिलती है जब तक उन्हें उचित रूप से श्राद्ध नहीं किया जाता। इसके अलावा, यह उनके स्मरण का एक अवसर है और उनका आशीर्वाद लेने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान करता है।

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पितरों को जल देने का महत्व

पितरों को जल देने की विधि: पितृ पक्ष 2023

1. उपकरण और सामग्री

पितृ पक्ष में पितरों को जल देने के लिए निम्नलिखित उपकरण और सामग्री की आवश्यकता होती है:

  • कलश
  • पूजा कलश
  • जल (गंगाजल या तीर्थ)
  • धूप
  • दीपक
  • अगरबत्ती
  • फूल
  • प्रसाद
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पितरों को जल देने की विधि

2. विधि

  • शुद्धि आचरण: पितृ पक्ष के दिन, व्यक्ति को स्नान करके शुद्धि आचरण करना चाहिए। यह उनकी शुद्धि और शुद्ध भावना का प्रतीक है।
  • पूजा स्थल की सजावट: एक निर्धारित स्थान पर पूजा स्थल तैयार करें। उसे सजाने के लिए रंगों, फूलों और धूप-दीपक का इस्तेमाल करें।
  • कलश स्थापना: एक कलश लें और उसमें गंगाजल या तीर्थ भरें। इसे पूजा स्थल पर स्थित करें।
  • पितृ आवाहन: मानसिक रूप से पितरों को आवाहन करें और उन्हें आतिथ्य के रूप में स्वागत करें।
  • श्राद्ध आहुति: श्राद्ध के रूप में अन्न, तील, घी, फल आदि को जल कलश में दान करें। यह विशेष रूप से पितरों को समर्पित किया जाता है।
  • प्रार्थना और आराधना: पितरों को शांति और उनकी आत्मा को शांति मिलने की कामना करें। उनके लिए प्रार्थना करें और आराधना करें।
  • प्रसाद वितरण: आराधना के बाद, प्रसाद को उनको चढ़ाया जाता है और फिर उसे परिवार के सदस्यों को वितरित किया जाता है।
  • पुण्याहवाचन: श्राद्ध के बाद, पुण्याहवाचन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह विशेष रूप से श्राद्ध कार्य को समापित करने का उद्देश्य रखता है।
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विधि

समापन

पितृ पक्ष एक ऐतिहासिक और धार्मिक परंपरा है जो पितरों के आत्मा को शांति और आत्मा को शुद्धि देने का उद्देश्य रखती है। इस अवसर पर, हमें अपने पूर्वजों के समर्पण और उनकी आत्मा को शांति देने का एक अद्वितीय अवसर मिलता है। पितृ पक्ष को यथाशक्ति और श्रद्धांजलि से मनाना हमारे आदर्श और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है और हमारे परिवार के एकांत सदस्यों के लिए एक विशेष अवसर प्रदान करता है।

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